Wednesday, October 30, 2013


जहाँ भी देखते है हमारे आस पास सिर्फ एक चर्चा अक्सर होती रहती है सपने की वो सपना चाहे हमारे उज्जवल भविष्य का हो ,या फिर किसी और चीज का ही क्यों न हो सपने तो सपने होते है महान वैज्ञानिक डाक्टर अब्दुल कलाम जी एक  बात हमेशा कहते है "सपना वो है जो तुम्हे सोने न दे " पर जो हम रात  में सोते  समय स्वप्न  देखते है वह क्या है सभी लोग कहते है वह स्वप्न है हमारे देश में एक संत को स्वप्न आता है कि  जमीन के अंदर असीम भंडार गंगा नदी के किनारे बसे दो शहर  उन्नाव व फतेहपुर में है  वह इस की सूचना एक पत्र  लिखकर राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार को देते है हमारी दोनों सरकार भी ऐसी है उनके देखे  को  समझ कर जगह की खुदाई शुरू कर दी जाती है एक बात तो समझ में नही आती है ,कि अगर कोई आम आदमी इस तरह का सपना देखे कि वह इस देश का प्रधानमत्री, राष्ट्रपति या कोई अफसर बन गया है और वह इसकी सूचना राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार को पत्र  या ई -मेल के माध्यम से देता है तो शायद ही कोई सरकार या उस इंसान का कोई दोस्त उसकी बात पर यकीन करेगा ,हो सकता है उसे पागल समझ कर पागलखाने भेज दिया जाये, या फिर किसी मनोरोग विशेषज्ञ के पास ज़बरदस्ती उस का इलाज करवाया जाए, और एक स्वथ्य इन्सान को रोगी बना देगें ,हमारा समाज एक साधु के देखे , सपने पर यकीन कर लेगा ,पर एक आम आदमी देखे गए सपने पर क्यों नही यकीन करता है ? शायद यही की साधु -संत  या किसी भी धर्म के ठेकेदार हमें भगवान,अल्लाह तथा स्वर्ग नरक या जन्नत दोजक के नाम पर भय दिखाते है और हमेशा हमें डराते है, अरे सपने देखना हमारा अधिकार है खैर इस बात को यही समाप्त करते है आप लोगों कि तरह मै भी एक आम इंसान हूँ ,और मैंने भी सपना देखा सब लोगों को बताया पर किसी ने मेरी बात नही सुनी ! सभी ने मेरे सपने को सिर्फ और सिर्फ दबाया ही है आप ही बताइए क्या कोई एक  सपना भी नही देख सकता है, उसको सपने देखने का हक़ नही है हमारा देश एक लोकतत्रात्मक देश है इस देश में सपना सिर्फ साधु नेता या कोई पैसा वाला इंसान ही देख सकता  है ,क्या कोई मेरे जैसा आम इंसान नही देख सकता ,बचपन से एक सपना था ,समाज के लिए  अपना कुछ योगदान दूँ ,पर यह समाज मुझ जैसे इंसान को सिर्फ पागल ही समझता है ,कोई मेरे सपने के बारे में कुछ जानना ही नही चाहता है ,आज की दुनिया में सर्वत्र सोने की चमक है क्या कभी किसी को असली सोने की पहचान हुई है ,शायद नही आदमी आज की चकाचौंध भरी जिंदगी में सिर्फ एक कठपुतली बन कर रह गया है किसी के पास किसी की दिल की आवाज का समय नही है लोग सिर्फ साधु -संतों के प्रवचन तथा नेताओ के भाषण सुनना पसन्द करते है और ये लोग शायद ये भी भूल जाते है कि साधु  सतों के पास करोड़ों रुपये के ट्रस्ट चल रहे है कभी  पैदल नही चलते है, यही हाल हमारे देश के सभी नेताओ का है क्या कोई साधु सन्त या नेता आप में से किसी के पास आकर आप के बारे में या आपके सपने के बारे में जानने की कोशिश करता है ,आप सभी का जवाब होगा नही ये लोग जब भी हमारे करीब आते है ,तो सिर्फ अपना सपना सुनाने ,साधु संत आते है कुछ पैसा या चंदा मागने और नेता आते है वोट मागने ,जब सबसे बड़े भिखारी यही है तो ये क्या हमारे सपने को जानना चाहेंगें ?,हम सारी जिन्दगी सिर्फ संसार की चकाचौंध में ही खोये रहते है और हमेशा अपने उन सोने के अनजाने सपनो को पूरा करने की कोशिश करते रहते है लेकिन क्या कोई उन सभी सपनों को सच कर पाया है शायद ही कोई होगा ,और बदले में  उसे सोना नही मिलता है इतना सब कुछ सोचने के बाद मै अपने आप को काफी हताश महसूस कर रहा हूँ कि मै अपना सपना किसे बताऊ ,फिर भी आज की इस इंटरनेट की दुनिया में मै अपना सपना आप सभी लोगों के साथ शेयर के सकता हूँ आज मै इस वक्त काफी हताश महसूस कर रहा हूँ ,चलिए कल आप लोगों से मिलते है औरआप सभी को बताते है अपने सपने के बारे में , मै उन गरीब लोगों की मदद करना चाहता हूँ जो अपने बच्चों को अपनी गरीबी की वजह से स्कूल नही भेज पाते है तथा  ईंट  भट्ठों में काम करने मजदूरों के बच्चे जो अपना बचपन सिर्फ  खेलने या काम करने में गुजार देते है मै उन लोगों के बच्चों को स्कूल भेज कर उनकी मदद करना  चाहता हूँ  तथा समाज में उन्हें उचित स्थान दिलाना चाहता हूँ  लेकिन  जब मैंने इस सपने के बारे में अपने घर में बताया ,तो सबने मुझे घर से बाहर के रास्ता दिखा दिया , और तो और मेरे कुछ दोस्तों ने  मेरा साथ छोड़ दिया और सबने यही कहा कि मै पागल हूँ लेकिन समाज के लिए कुछ करना पागलपन है मेरी जगह ये सपना शायद किसी साधू -संत या नेता को आया होता, तो सभी लोग उनकी मदद करने निकल पड़ते हम सभी लोग साधु -संतों को ट्रस्ट तथा  आश्रम के नाम पर लाखों करोड़ों रुपये दे देते है पर किसी गरीब मजबुर की सहायता नही कर सकते ,क्योंकी वो हमें साधुओ की तरह भगवान के नाम पर डरा नही सकते है लेकिन फिर भी मुझे एक उम्मीद है कि अपना सपना तो सच करना है यही वजह है कि मै अपने सपने के खजाने की खोज में लगा हूँ कई बार ऐसा लगता है जैसे कोई मेरा सपना मुझसे छीनने की कोशिश कर रहा है ऐसा सपना शायद कोई देखता होगा लेकिन अगर ऐसा सपने हमारे प्रधानमन्त्री राष्ट्रपति नेता साधु संत तथा सरकारी अफसरों को आने लगे तो हमारे देश में शायद ही कोई गरीब बेरोजगार  और अशिक्षित बचेगा और एक ऐसा भी दिन आएगा ,जब हमारा देश ही नही दुनिया का कोई भी विकसित खुशहाल और सोने की चिड़िया बन जायेगा,मित्रों मेरा सपना अभी वही सब लोग आज भी मुझे बेवकूफ समझ रहे है लेकिन कोई मेरी मदद के लिए अपना हाथ नही बढ़ाना चाहता है अब सिर्फ एक उम्मीद ही बची है और मै आप सब को बताना ही भूल गया,कि डौडियाही खेड़ा में जो खुदाई हो रही थी उस खुदाई में सिर्फ कुछ पुरानी चीजें जैसे मिटटी के बर्तन और पीतल के घड़े इत्यादि ही निकला है वहाँ सोना नही निकला है ये सब मात्र एक अन्धविश्वास था लेकिन पता नही क्यों हमारे मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री और समाज ऐसे अन्धविश्वास को बढ़ावा देते है लेकिन मेरा सपना जिसे मै अपनी जागती आँखों से देखता हूँ वो अंधविश्वास नही है